benefits of ginger: अदरक के फ़ायदे
सामान्य परिचय
भोजन को स्वादिष्ठ व सुपाच्य बनाने के लिए अदरक (benefits of ginger) का उपयोग आमतौर पर हर घर में किया जाता है। वैसे तो यह सभी प्रदेशों में पैदा होता है, लेकिन अधिकांश उत्पादन केरल राज्य में किया जाता है। यह सूखी और गीली दोनों अवस्थाओं में मिलता है। शुष्क अवस्था में इसे सोंठ या शुंठी तथा गीली (आर्द्र) अवस्था में आद्रक या अदरक के नाम से जाना जाता है। गीली मिट्टी में दबाकर रखने से यह अगले काफी समय तक ताजा बना रहता है। इसका कंद हलका पीलापन लिए, बहुखंडी और सुगंधित होता है।
विभिन्न भाषाओं में नाम
संस्कृत-आद्रक । हिंदी-अदरक। मराठी-आले । गुजराती-आदु । बंगाली-आदा। अंग्रेजी-जिंजर रूट (Ginger Root) लैटिन-जिंजिबर आफिशिनेल (Zingiber Officinale)
गुण
अदरक (benefits of ginger) में अनेक औषधीय गुण होने के कारण आयुर्वेद में इसे महा औषध माना गया है। (benefits of ginger) यह गरम, तीक्ष्ण, भारी, मलभेदक, पाक में मधुर, भूख बढ़ाने वाला, पाचक, चरपरा, रुचिकारक, त्रिदोषमुक्त यानी वात, पित्त और कफ नाशक होता है।
वैज्ञानिक मतानुसार अदरक की रासायनिक संरचना में 80 प्रतिशत भाग जल होता है, जबकि सोंठ में इसकी मात्रा लगभग 10 प्रतिशत होती है। इसके अलावा स्टार्च 53 प्रतिशत, प्रोटीन 19.1 प्रतिशत, रेशा (फाइबर) 7.2 प्रतिशत, राख 6.6 प्रतिशत, तात्त्विक तेल (इसेन्शियल ऑइल) 1.8 प्रतिशत तथा औथियोरेजिन मुख्य रूप से पाए जाते हैं।सोंठ में प्रोटीन्स. नाइटोजन, अमीनो एसिड्स, स्टार्च, ग्लूकोज, सुक्रोस, फ़्रक्टोस, सुगंधित तेल, ओलियोरेसिन, जिंजीबरीन, रैफीनीस, कैल्शियम, विटामिन बी और सी, प्रोटिथीलिट एन्जाइम्स और लोहा भी मिलते हैं। प्रोटिथीलिट एन्जाइम के कारण ही सोंठ कफ हटाने व पाचन संस्थान में विशेष गुणकारी सिद्ध हुई है।
हानिकारक प्रभाव
मात्रा
अदरक 5 से 10 ग्राम, सोंठ का चूर्ण 1 से 3 ग्राम, स्वरस 5 से 10 मिलीलीटर, अर्क और शरबत 10 से 30 मिलीलीटर।
विभिन्न रोगों में प्रयोग
वमन (उलटी) : अदरक और प्याज का रस एक-एक चम्मच की मात्रा में मिलाकर पिलाएं।
हिचकी : सभी प्रकार की हिचकियों में अदरक की साफ की हुई छोटी डली चूसनी चाहिए। एक कप दूध को उबालकर उसमें आधा चम्मच सोंठ का चूर्ण डाल दें और ठंडा करके पिलाएं।
पेट दर्द : अदरक और लहसुन को बराबर की मात्रा में पीसकर एक चम्मच की मात्रा में पानी से सेवन कराएं।
पिसी हुई सोंठ, सेंधानमक और हींग बराबर की मात्रा में मिलाकर आधा चम्मच की मात्रा में गर्म पानी के साथ खिलाएं।
मुंह की दुर्गध : एक गिलास गर्म पानी में दो चम्मच अदरक का रस मिलाकर दिन में 2-3 बार कुल्ले कराएं।
जोड़ों के दर्द : अदरक का रस गुनगना गर्म करके इससे मालिश करें। दांत दर्द : महीन पिसा हुआ सेंधानमक अदरक के रस में मिलाकर दर्दवाले दांत पर लगाएं।
भूख की कमी, अरुचि : अदरक के छोटे-छोटे टुकड़ों को नीबू के रस में भिगोकर इसमें सेंधानमक मिला लें, इसे भोजन करने से पहले नियमित रूप से खिलाएं। खांसी : आधा चम्मच अदरक का रस एक चम्मच शहद में मिलाकर दिन में 3-1 बार पिलाएं।
सर्दी-जुकाम : पानी में गुड़, अदरक, नीबू का रस, अजवाइन, हलदी को बराबर की मात्रा में डालकर उबालें और फिर इसे छानकर पिलाएं।
स्वरभंग : अदरक, लौंग, हींग और नमक को मिलाकर पीस लें और इसकी छोटी-छोटी गोलियां तैयार करें। दिन में 3-4 बार एक-एक गोली चूसें।
कान दर्द : कपड़े से छना अदरक का रस गुनगुना गर्म करके 3-4 बूंद कान में टपकाएं।
लकवा : घी में उड़द की दाल भूनकर, इसकी आधी मात्रा में गुड़ और सोंठ इसमें मिलाकर पीस लें। इसे दो चम्मच की मात्रा में 3 बार खिलाएं।
पेट और सीने की जलन : एक गिलास गन्ने के रस में दो चम्मच अदरक का रस और एक चम्मच पुदीने का रस मिलाकर पिलाएं।
वात, कमर का दर्द : अदरक का रस नारियल के तेल में मिलाकर मालिश करें और सोंठ को देशी घी में मिलाकर खिलाएं।
बुखार : एक चम्मच शहद के साथ इतनी ही मात्रा में अदरक का रस मिलाकर दिन में 3-4 बार पिलाएं।
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