Guava: जानिए...अमरूद के औषधीय गुण और असरकारी फ़ायदे

सामान्य परिचय

इसका पेड़ प्रायः भारत के सभी राज्यों में उगाया जाता है। उत्तर प्रदेश का इलाहाबादी अमरूद विश्व विख्यात है। यह विशेष रूप से स्वादिष्ठ होता है। इसके पेड़ की ऊंचाई 10 से 20 फीट होती है। टहनियां पतली-पतली और कमजोर होती हैं। तने का पृष्ठ चिकना, भूरे रंग का, पतली सफेद छाल से आच्छादित रहता है। छाल के नीचे की लकड़ी चिकनी होती है। पत्ते हलके हरे रंग के, स्पर्श में खुरदरे, 3 से 4 इंच लंबे, आयताकार, सुगंधयुक्त, डंठल छोटे होते हैं। अमरूद लाल और पीताभ सफेद रंग लिए हुए होते हैं। बीज वाले और बिना बीज वाले तथा अत्यंत मीठे और खट्टे-मीठे प्रकार के अमरूद आमतौर पर देखने को मिलते हैं। सफेद की अपेक्षा लाल रंग के अमरूद गुणकारी होते हैं। सफेद गूदे वाले अमरूद अधिक मीठे होते हैं। फल का भार आमतौर पर 30 से 450 ग्राम तक होता है।

विभिन्न भाषाओं में नाम

Guava,

संस्कृत-पेरूक
, अमरूफल। हिंदी-अमरूद, बिही। मराठी-पेरू, जाम। गुजरातीजामफल । बंगाली-पियारा। अंग्रेजी-कामन गुआवा (Common Guava) । लैटिनसिडियम गुआजावा (Psidium Guajava)

आयुर्वेदिक मतानुसार अमरूद एक कसैला, स्वादिष्ठ, भारी, शीतल, कफकारक, अम्लीय, वात-पित्त शामक, शुक्रजनक, तीक्ष्ण, तृष्णा, कृमि, मूर्छा, भ्रम, उन्माद, शोथ, विषम ज्वर नाशक फल है। पेट साफ कर कब्जियत दूर करने में सर्वोत्तम है। भोजन के पश्चात् खाने से पाचन क्रिया सुधारता है और भोजन के पूर्व खाने से अतिसार में लाभकारी है। शीतकाल के फल अधिक बलकारी और तृप्तिदायक होते हैं।

यूनानी मतानुसार अमरूद में पहले दर्जे की ठंडी और दूसरे दर्जे की ऊष्ण प्रकृति होती है। यह रक्तदोष जन्य शरीर के चकत्ते, दूषित व्रण व मसूढ़ों की सूजन को दूर करने में सर्वोत्तम है।

वैज्ञानिक मतानुसार अमरूद की रासायनिक बनावट में पानी 89.9, कार्बोहाइड्रेट 14.9, प्रोटीन 1.5, वसा 1.2, खनिज-लवण 1.8 प्रतिशत पाए जाते हैं। इसके अलावा पर्याप्त विटामिन 'सी', कैल्शियम, फास्फोरस व आयरन भी पाया जाता है। अमरूद के पत्तों में राल, वसा, काष्टोज, टेनिन, उड़नशील तेल और खनिज लवण होते हैं।

हानिकारक प्रभाव

Guava,

शीत प्रकृति वालों को और.जिनका आमाशय कमजोर हो
, उनके लिए अमरूद हानिकारक होता है। वर्षा ऋतु में उत्पन्न अमरूद के अंदर सूक्ष्म धागे जैसे सफेद कृमि पैदा होने से खाने वाले व्यक्ति को पेट दर्द, अफ़ारा, हैजा जैसे विकार हो सकते हैं। इसके बीज सख्त होने के कारण आसानी से नहीं पचते और यदि ये एपेन्डिक्स में चले जाएं, तो एपेन्डिसाइटिस रोग पैदा कर सकते हैं। अतः इनके बीजों के सेवन से बचना चाहिए।

विभिन्न रोगों में प्रयोग

शक्ति और वीर्य वृद्धि : अच्छी तरह पके नरम, मीठे अमरूदों को मसलकर दूध में फेंट लें और फिर छानकर इनके बीज निकाल लें। आवश्यकतानुसार शक्कर मिलाकर प्रातः नियमित रूप से 21 दिन सेवन करें।

पेट दर्द : नमक के साथ पके अमरूद खाने से आराम मिलता है।

कब्ज़ : नाश्ते में अमरूद का सेवन करें। सख्त कब्ज में सुबह-शाम अमरूद खाएं। अमरूद को काली मिर्च, काला नमक, अदरक के साथ खाने से अजीर्ण, गैस, अफारा की तकलीफ दूर होकर भूख बढ़ जाएगी।

गुण

Guava,

बवासीर (पाइल्स) : सुबह खाली पेट
2010 300 ग्राम अमम्द नियमित रूप से सेवन करें।

सूखी खांसी : गर्म रेत में अमरूद को भूनकर खाने से सुखी, कफ युक्त और कुकर खांसी में आराम मिलता है। यह प्रयोग दिन में तीन बार करें। दांत दर्द : अमरूद के पत्तों को दांतों से चबाने से आराम मिलेगा। सिर दर्द : आधे सिर के दर्द में कच्चे अमरूद को सुबह पीसकर लेप बनाएं और उसे मस्तक पर लगाएं।

जुकाम : रुके हुए जुकाम को दूर करने के लिए बीज निकला हुआ अमस्ट खाएं और ऊपर से नाक बंद कर एक गिलास पानी पी लें। जब दो-तीन दिन के प्रयोग से स्राव बढ़ जाए, तो उसे रोकने के लिए 50-100 ग्राम गुड़ खा लें। बाद में पानी न पिएं।

मुंह के छाले : अमरूद के पत्ते पर कत्था लगाकर पान की तरह इसे दिन में 3-4 बार चबाएं और यह प्रयोग 2-3 दिन करें।

मलेरिया : इसके ज्वर में अमरूद का सेवन लाभप्रद है। नियमित सेवन से तिजारा और चौथिया ज्वर में भी आराम मिलता है।

भांग का नशा : अमरूद के पत्तों का रस या केवल पके अमरुद खिलाने मे भांग का नशा दूर हो जाता ।

पागलपन, उन्माद : सुबह खाली पेट पके अमरूद चबा-चबाकर खाने से मानसिक चिंताओं का भार कम होकर धीरे-धीरे पागलपन के लक्षण दूर हो जात है और शरीर की गर्मी निकल जाती है।

Guava: जानिए...अमरूद के औषधीय गुण और असरकारी फ़ायदे Guava: जानिए...अमरूद के औषधीय गुण और असरकारी फ़ायदे Reviewed by चिन्हारी on अगस्त 07, 2021 Rating: 5

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