Thymes: अजवायन के लाभ

सामान्य परिचय

इसका पौधा वैसे तो सारे भारतवर्ष में लगाया जाता है, लेकिन बंगाल, दक्षिणी प्रदेश और पंजाब में अधिकता से पैदा होता है। इसके पौधे 2-3 फुट ऊंचे और पत्ते छोटे आकार में कुछ कंटीले होते हैं। डालियों पर सफेद पुष्प गुच्छे के रूप में लगते हैं, जो पक कर एवं सूख जाने पर अजवायन के दानों में परिवर्तित हो जाते हैं। ये दानें ही हमारे घरों में मसाले के रूप में और औषधियों में उपयोग किए जाते हैं।

विभिन्न भाषाओं में नाम

संस्कृत-यवानी, यवानिका। हिंदी-अजवायन, अजवाइन। मराठी-ओवा। गुजराती-अजमो, जवाइन । बंगाली-यमानी। अंग्रेजी-बिशप्स वीडसीड (Bishop's Weed Seed) । लैटिन-केरम कोपटिकम (Carum Copticum) टाइकोटिस अजोवान (Ptychotis Ajowan)

गुण

अजवायन की प्रशंसा में आयुर्वेद में कहा गया है-'एका यमानी शतमन्न पाचिका' अर्थात् इसमें सौ प्रकार के अन्न पचाने की ताकत होती है।

आयुर्वेदिक मतानुसार अजवायन पाचक, चरपरी, रुचिकारक, गरम, तीक्ष्ण, दीपन, कड़वी, शुक्रदोष निवारक, वीर्यजनक, पित्तजनक, हृदय के लिए हितकारी, कफ को हरने वाली, गर्भाशय को उत्तेजना देने वाली, ज्वर नाशक, शोथनाशक, मूत्रकारक, कृमिनाशक, वमन, शूल, उदर रोग, आमवात, बादी, बवासीर, प्लीहा के रोगों का नाश करने वाली, ऊष्णवीर्य औषधि है।

यूनानी मतानुसार अजवायन आमाशय, यकृत, वृक्क को ऊष्णता और शक्ति देने वाली, आर्द्रता शोषक, वातनाशक, कामोद्दीपक, कब्ज दूर करने वाली, पसीना, मूत्र, दुग्ध, आर्त्तव निकालने वाली, तीसरे दर्जे की गर्म और रुक्ष होती है।

वैज्ञानिक मतानुसार अजवायन की रासायनिक संरचना में आर्द्रता 7.4 कार्बोहाइड्रेट 24.6, वसा 21.8, प्रोटीन 17.1, खनिज 7.9 प्रतिशत, कैल्शियम, फास्फोरस, लौह, पोटेशियम, सोडियम, रिबोफ्लेविन, थायमिन, निकोटिनिक एसिड अल्प मात्रा में, आंशिक रूप से आयोडिन, शर्करा, सेपोनिन, टेनिन, केरोटिन और स्थिर तेल 14.8 प्रतिशत पाया जाता है। इसमें मिलने वाला सुगंधित तेल 2 से 4 प्रतिशत होता है, जिसमें 35 से 60 प्रतिशत मुख्य घटक थाइमोल (Thymol) पाया जाता है। मानक रूप से अजवायन के तेल में थाइमोल 40% होना चाहिए। 

 मात्रा 

2 से 5 ग्राम, तेल 1 से 3 बूंद।

विभिन्न रोगों में प्रयोग

पेट में कृमि : एक चौथाई चम्मच नमकीन अजवायन बच्चों को दिन में 3 बार नियमित रूप से खिलाते रहने से कुछ ही दिनों में सारे कृमि मर जाएंगे। 4-5 बूंद अजवायन का तेल सोते समय देने से लाभ होता है। गठिया : जोड़ों के दर्द में पीड़ित स्थानों पर अजवायन के तेल की मालिश करने से राहत मिलेगी।



Thymes,

शीत पित्त : आधा चम्मच अजवायन और एक चम्मच गुड़ मिलाकर सेवन करें। मिट्टी या कोयला खाने की आदत : एक चम्मच अजवायन का चूर्ण रात में सोते समय नियमित रूप से तीन हफ्ते तक खिलाएं। इससे मिट्टी खाने की आदत छूट जाती है।

पेट दर्द : एक ग्राम काला नमक और दो ग्राम अजवायन गर्म पानी के साथ सेवन कराएं।

स्त्री रोगों में : प्रसूता को एक चम्मच अजवायन और दो चम्मच गुड़ मिलाकर दिन में 3 बार खिलाने से कमर का दर्द दूर होकर गर्भाशय की शुद्धि होती है। साथ ही भूख लगती एवं बल में वृद्धि होती है। मासिक धर्म की अनेक तकलीफें इसी प्रयोग से दूर हो जाती हैं।

खांसी : एक चम्मच अजवायन को अच्छी तरह चबाकर गर्म पानी सेवन करें। रात में लगने वाली खांसी को दूर करने के लिए पान के पत्ते में आधा चम्मच अजवायन लपेटकर चबाएं और चूस-चूसकर उसका रस निगल जाएं। बिस्तर में पेशाब करना : सोने से पूर्व एक ग्राम अजवायन का चूर्ण कुछ दिनों तक नियमित खिलाएं।

बहुमूत्र : समान मात्रा में अजवायन और गुड़ मिलाकर 5-5 ग्राम की गोलियां बना लें। दिन में 3-4 बार सेवन कराएं।

गैस : काला नमक और अजवायन समान मात्रा में पीसकर एक चम्मच की मात्रा में एक कप छाछ के साथ दिन में दो बार भोजन के बाद पिलाएं।

मुंहासे : 2 चम्मच अजवायन को 4 चम्मच दही में पीसकर रात में सोते समय पूरे चेहरे पर मलकर लगाएं और सुबह गर्म पानी से साफ कर लें।

दांत दर्द : पीड़ित दांत पर अजवायन का तेल लगाएं। एक घंटे बाद गर्म पानी में एक-एक चम्मच पिसी अजवायन और नमक मिलाकर कुल्ला करें।

जुकाम : अजवायन को पीसकर एक पोटली बना लें, उसे दिन में कई बार सूंघे, इससे बंद नाक खुल जाएगी।

अपच, मंदाग्नि में : भोजन के बाद नियमित रूप से एक चम्मच सिंकी हुई व सेंधानमक लगी अजवायन चबाएं।

जूं, लीख : एक चम्मच फिटकिरी और दो चम्मच अजवायन को पीसकर एक कप छाछ में मिलाकर बालों की जड़ों में सोते समय लगाएं और सुबह धो लें। त्वचा रोग : फुसियों, दाद, खाज-खुजली पर गर्म पानी में पिसी हुई अजवायन का लेप दिन में तीन बार लगाएं।

Thymes: अजवायन के लाभ Thymes: अजवायन के लाभ Reviewed by चिन्हारी on अगस्त 05, 2021 Rating: 5

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