Pomegranate: अनार खाने के फायदे और नुकसान
सामान्य परिचय
विभिन्न भाषाओं में नाम
संस्कृत-दाडिम। हिंदी-अनार । मराठी-डालिंब । गुजराती-दाड़म। बंगाली-दालिम। अंग्रेजी-पोमेग्रेनेट (Pomegranate)। लैटिन-प्युनिका ग्रेनेटम (PunicaGranatum)।
गुण
रोगियों के लिए शक्तिदायक और रोग प्रतिरोधक सिद्ध होने के कारण यह फल ‘एक अनार और सौ बीमार' वाली कहावत को चरितार्थ करता है। यों तो अनार एक स्वादिष्ठ, पौष्टिक आहार है, लेकिन इसका उपयोग फल के रूप में कम व औषधि के रूप में अधिक किया जाता है। इसके पत्ते, जड़, छाल, फूल, बीज, फल के छिलके सभी उपयोगी होते हैं।
आयुर्वेद शास्त्र के मतानुसार मीठा अनार वात, पित्त और कफ़ तीनों का नाश करता है। यह शीतल, तृप्तिकारक, वीर्यवर्धक, स्निग्ध, पौष्टिक, हलका, संकोचक, कृमिनाशक होने के साथ-साथ प्यास, जलन, ज्वर, हृदय रोग, कंठ रोग, मुख की दुर्गंध को भी दूर करता है। जबकि खट्टा-मीठा अनार पित्त, जठराग्निवर्द्धक, रुचिकारी, हलका व थोड़ा पित्तकारक होता है। खट्टा अनार खट्टे स्वाद का, वात, कफ़ को नाश करने वाला, पित्त को उत्पन्न करने वाला होता है।
यूनानी चिकित्सकों के मतानुसार मीठा अनार पहले दर्जे का शीतल, स्निग्ध, हृदय और यकृत के लिए बलदायक, दाह शांत करने वाला, गले और छाती में मृदुता लाने वाला फल है। पत्तों की अपेक्षा गूदा, गूदे की अपेक्षा छाल, फूल की अपेक्षा कली और जड़ की छाल में अधिक औषधीय गुण होते हैं।
वैज्ञानिकों के मतानुसार रासायनिक संगठन ज्ञात करने पर अनारदाना में आर्द्रता 78, कार्बोहाइड्रेट 14.5, प्रोटीन 1.6, वसा 0.1 प्रतिशत होती है। इसके अलावा फास्फोरस, कैल्शियम, सोडियम, मैगनेशियम, पोटेशियम, आक्जलिक अम्ल, तांबा, लोहा, गंधक, टेनिन, शर्करा, विटामिन्स होते हैं। फल की छाल में 25 प्रतिशत, तने के गूदे में 25 प्रतिशत तक, पत्तियों में 11 प्रतिशत और जड़ की छाल में 28 प्रतिशत टैनिन होता है।
मात्रा
फल का रस 20 से 25 मिलीलीटर, बीजों का चूर्ण 6 से 9 ग्राम, छाल का चूर्ण 3 से 5 ग्राम, पुष्प कलिका 4 से 5 ग्राम।
उपलब्ध आयुर्वेदिक योग अनारदाना चूर्ण स्वादिष्ठ, भोजन पचाने वाला और भूख बढ़ाने वाला होता है। दाडिमाष्टक चूर्ण मंदाग्नि, वायुगोला, अपच, अतिसार, गले के रोग, कमजोरी और खांसी में लाभप्रद है।
विभिन्न रोगों में प्रयोग नाक से खून (नकसीर) : अनार का रस नथुनों में डालें।
मूत्र की अधिकता : एक चम्मच अनार के छिलकों का चूर्ण एक कप पानी के साथ दिन में 3 बार सेवन करें।
चेहरे का सौंदर्य : गुलाब जल में अनार के छिलकों का बारीक चूर्ण का अच्छी तरह बनाए लेप को सोते समय नियमित रूप से लगाकर सुबह चेहरा धो लें। इससे दाग के निशान, झाइयों के धब्बे दूर हो जाएंगे।
पेट दर्द : नमक और काली मिर्च का पाउडर अनार के दानों में मिलाकर सेवन करें। शरीर की गर्मी : अनार का रस पानी में मिलाकर पीने से गर्मी के दिनों में बढ़ी शरीर की गर्मी दूर होती है।
अजीर्ण : 3 चम्मच अनार के रस में एक चम्मच जीरा और इतना ही गुड़ मिलाकर भोजन के बाद सेवन कराएं।
दांत से खून आना : अनार के फूल छाया में सुखाकर बारीक पीस लें। इसे मंजन की तरह दिन में 2-3 बार मलें। खून आना बंद होकर दांत मजबूत हो जाएंगे। खांसी : अनार के छिलकों पर सेंधानमक लगाकर चूसें।
अरुचि : अनार दानों पर सेंधानमक, काली मिर्च, जीरा, हींग अल्प मात्रा में डालकर मिला लें, फिर चबाकर सेवन करें।
कृमि रोग : अनार के सूखे छिलकों का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार नियमित रूप से कुछ दिन सेवन करें। यही प्रयोग खूनी दस्त, खूनी बवासीर, स्वप्नदोष, अत्यधिक मासिकस्राव में भी लाभप्रद है।
वमन : अनार के बीज पीसकर उसमें थोड़ी-सी काली मिर्च और नमक मिलाकर खाने से पित्त की वमन और घबराहट में आराम मिलता है।
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